भारत वीरो एवं वीरांगनाओं का देश है ,प्राचीन समय से ही शौर्य व बलिदानों के लिए यह प्रख्यात है। यहां के लोगों ने अपने निजी वह आरामदायक जिंदगी छोड़कर देश हित के लिए कड़ा संघर्ष किया और अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया ऐसे कई महापुरुषों महात्मा गांधी ,भगत सिंह, लाला लाजपत राय, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस, गोपाल कृष्ण गोखले ,सुभाष चंद्र बोस ,पंडित जवाहरलाल नेहरू आदि जैसे कई महापुरुषों को अथक व कड़ा संघर्ष के फलस्वरूप आज देश में हम चैन की सांस ,स्वतंत्रतापूर्वक अपने राय रखना और अपने सपनों के हासिल करने की जज्बा रखते हैं । इन्होंने आजादी के लिए ना सिर्फ खुद को बल्कि अपने परिवार, दोस्तों और समाज के लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष और अपने हक की अधिकार मांगने के लिए प्रेरित किया। जिसके कारण आज हमारा देश स्वतंत्र हुआ और स्वदेशी लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू की गयी। मातृभूमि के इस नि:स्वार्थ व देश-प्रेमियों का नाम इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा इन विभूतियों का स्मरण मात्र से ही लोगों में देशभक्ति के साथ- साथ देश के प्रति कर्तव्यों के निर्वाहण व अन्याय के विरुद्ध लड़ने को प्रेरित करता है।
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Essay in hindi on श्रीकृष्ण जन्मोत्सव | Sri Krishna Janmastami पर निबंध in Hindi
Essay in hindi on श्रीकृष्ण जन्मोत्सव | Sri Krishna Janmastami पर निबंध in Hindi
Posted by:
Gufran
Published on: December 24, 2020
उन्हीं नायको में से एक महानायक सुभाष चंद्र बोस थे जिनको केवल हमारी मातृभूमि ही नहीं बल्कि उनकी शौर्य व बलिदान की गाथा पूरे विश्व में विख्यात है। उनका जन्म बंगाली परिवार में कटक में 23 जनवरी 1897 को जो उस समय बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा था वहां हुआ, वह शुरुआत से ही काफी प्रतिभावान व मेधावी छात्र थे । उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक कर पिता के सपनों को साकार करने के लिए क्योंकि उनके पिता चाहते थे की वह(सुभाष चंद्र बोस) एक आईसीएस ऑफिसर बने,उन्होंने लंदन में जाकर आई सी एस की तैयारी किया जहां उन्हें मात्र 8 महीने में ही सफलता अर्जित की। परंतु उन्हें अंग्रेजी सरकार के अधीन कार्य करना बिल्कुल पसंद नहीं था वह बंगाल के स्वतंत्रता आंदोलन के नायक चितरंजन दास से काफी प्रभावित हुए उन्होंने लंदन से ही पत्र लिखकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की इच्छा जाहिर की व उन्होंने कांग्रेस के साथ कार्य करना आरंभ कर दिया और अंग्रेजों के विरुद्ध उनके तानाशाही, अत्याचारों के विरुद्ध अपने देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष व कठिनाइयों के रास्ते पर चल दिए, वह समय-समय पर गिरफ्तार कर जेल भी भेजे गए। सुभाष चंद्र बोस का बातों का प्रभाव युवाओं,औरतों पर काफी असर पड़ता वह जहां- जहां जाते वहां से क्रांतिकारियों का जमवाड़ा उमड़ने लगता जिसे देख कर पूरी अंग्रेज हुकूमत हैरान थी। उनके द्वारा जय हिंद और तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा काफी प्रचलित हुआ। उन्हें 1940 में गिरफ्तार कर नजर बंद कर दिया गया उनकी कड़ी लग्न व निरंतर संघर्ष से वह 1942 में जापान गए जहां उन्होंने रासबिहारी बोस द्वारा संगठित आजाद हिंद फौज का नेतृत्व किया जहां उन्हें नेताजी की उपाधि से नवाजा गया। वह आम जनता के साथ -साथ क्रांतिकारियों व सैनिकों के बीच काफी लोकप्रिय थे । उनके नेतृत्व में जापान व जर्मनी में फौजों का गठन किया गया उन्होंने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर में सुप्रीम कमांडर के रूप में सेना को संबोधित करते हुए दिल्ली चलो का नारा देकर पूरे विश्व में अंग्रेजों की विरुद्ध अपने हक के लिए लड़ने की बिगुल फूंक दी जिससे प्रेरित होकर काफी देश जो अंग्रेजों के गुलाम थे विद्रोह कर दिए इस सफलता को देख कर पूरा ब्रिटिश सरकार चकित थी । उनकी आजाद हिंद फौज का जर्मनी ,जापान, फिलिपींस आदि जैसे देशों ने ना सिर्फ अधिकारिक मान्यता दिया बल्कि इस संघर्ष में कदम से कदम मिलाकर अंग्रेजों से लोहा लेने मैं सहायता किया।
वह दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए जहां कांग्रेस में सबसे लोकप्रिय नेता बने बहुत दु:खद बात यह थी कि देश को आजादी मिलने से पहले ही उनकी असामयिक मृत्यु हो गई यह भारत के लिए सबसे बड़ी दु:ख की घड़ी थी , इनका गुजरना देश के लिए अपूरणीय क्षति थी जो कभी भरपाई ना हो पाई उस दिन न सिर्फ देशवासियों का बल्कि पूरे विश्व में उनके चाहने वालों की आँखें नम थी जब उनकी मौत का आधिकारिक घोषणा हुई तो लोग पूरे विश्व में उनके अंतिम दर्शन के लिए हर स्थान पर उमड़ पड़े क्योंकि उनकी मौत आज तक रहस्यमई बना हुआ है। अभी तक उनका शव का पता नहीं लगाया जा चुका है। महापुरुषों का केवल शरीर ही मरता है बल्कि उनकी आत्मा और उनकी ख्याति उन्हें अमर बना देती है नेताजी आज भी हर भारतीयों के दिल में जीवित हैं और आज भी युवाओं को देश के लिए सकारात्मक सोच व सैवंधानिक कार्य के साथ -साथ नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
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